सीबीआई के स्पेशयल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर लगे रिश्वत के आरोपों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी एके बस्सी ने सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटाया है। दरअसल, सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के दौरान बस्सी को कालापानी की सजा देते हुए पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर कर दिया । एके बस्सी राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच कर रही टीम के मुखिया थे और उऩ्हीं के देखरेख में जांच चल रही थी। बस्सी ने अपने ट्रांसफर के आदेश को कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की। इसके अलावा एके बस्सी ने अपनी याचिका में कहा है कि राकेश अस्थाना को सबूतों के आधार पर दोषी ठहराने वाले थे। उऩ्होंने कोर्ट में मंगलवार को कहा कि उऩके पास इस बात के सबूत थे कि एफआईआर में जिन लोगों का नाम शामिल था। उऩ लोगों ने 3.3 करोड़ रुपए की रिश्वत ली गई थी।
तबादले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बस्सी
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी यानी सीबीआई में नंबर-एक और नंबर दो के अफसरों के बीच रिश्वत कांड को लेकर बवाल मचा हुआ है। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेजा जा चुका है लेकिन इस विवाद में दूसरे अफसरों को भी बलि चढ़ाया जा रहा है। हालांकि राकेश अस्थाना ने केंद्रीय सतर्कता आयोगी में एके बस्सी के खिलाफ अपनी शिकायत में कहा थि बस्सी आलोक वर्मा के इशारे पर काम कर रहे हैं। राकेश अस्थाना पर रिश्वत लेने के आरोप है और इस मामले की जांच चल रही थी।
राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत लेने का सबूत !
उधर, सीबीआई विवाद को लेकर पूरा विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। विपक्ष का आरोप है कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा राफेल घोटाले की जांच करने वाले थे इसलिए आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया। हालांकि पूरे मामले को लेकर जमकर विवाद है। नियम के अनुसार सीबीआई डायरेक्टर को दो साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले किसी भी कीमत पर नहीं हटाया जा सकता है। अगर हटाने की नौबत आती भी है तो नियुक्त करने वाली कमेटी के फैसले के बाद ही सीबीआई डायरेक्टर को हटाया जा सकता है।
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